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    In: International Journal of Multidisciplinary Research Configuration, International Journal of Multidisciplinary Research Configuration, Vol. 2, No. 1 ( 2022-01-28), p. 34-38
    Abstract: प्राचीन काल से ही वर्ण व्यवस्था ने सामाजिक ताने बाने पर कुत्सित प्रहार किया है। आज के आधुनिक युग में जाति गत भेद भाव युवा मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न की है। जिसका सजीव चित्रण हिन्दी दलित कहानीकार, डॉ. सुशीला टाकभौर, ओमप्रकाश वाल्मीकि जी की कहानियों में परिलक्षित होता है। प्रस्तुत शोध-पत्र में दशवें दशक की कहानियों में जातिगत भेद-भाव का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, तथा दलित युवा शिक्षित सवर्ण युवाओं सम्मिलित आक्रोश की विवेचना कर इस निष्कर्ष को प्राप्त किया है कि जातिगत समरसता के लिये सामाजिक परिवर्तन हो रहा है परन्तु इसकी गति अभी सुस्त है, इसकी गति को तेज करने के लिये हिन्दी साहित्य के कलमकारो को और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है संकेतः विद्रोह, जातिप्रथा, दलित, सवर्ण,
    Type of Medium: Online Resource
    ISSN: 2582-8649
    Uniform Title: दशवें दशक की कहानियों में दलित विमर्शः जाति-भेद के प्रति विद्रोह की भावना के विशेष संदर्भ में
    URL: Issue
    Language: Unknown
    Publisher: International Journal of Multidisciplinary Research Configuration
    Publication Date: 2022
    Library Location Call Number Volume/Issue/Year Availability
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